हमास – इजरायल संघर्ष के गंभीर परिणाम

-By Ravi Srivastava (15 Oct 2023)

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(इस लेख को  एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक में  भी प्रकाशित किया गया!)

दुस्साहसिक हमला

इस्राएल पर हमास का 6 अक्टूबर का हमला बेहद दुस्साहसिक और अप्रत्याशित था। यह हमला इस्राएल के राष्ट्रीय अवकाश सप्ताहांत उत्सव के बीच किया गया जो 50 साल पहले इसी दिन शुरू हुए योम किप्पुर युद्ध की याद दिलाता है। यह हमला हमास ने जमीन, हवा और समुद्र से एक साथ किया। शुरुआती अनुमानों से पता चला है कि संघर्ष शुरू होने के बाद से हमास के सैकड़ों आतंकवादी इजरायली क्षेत्र के अंदर घुस गए। हमास ने प्रारंभिक लक्ष्य में, दक्षिणी इज़राइल के रेगिस्तान में आयोजित संगीत समारोह में लगभग 260 इजरायली नागरिकों और पर्यटकों की बर्बर हत्या कि।

गाजा से हो रहे बड़े पैमाने पर रॉकेट हमले से इज़राइल ने स्थिति की गंभीरता को महसूस किया । यह एक बार के लिए साबित हो गया, कि इज़राइल के ‘आयरन डोम’ की आभा अभिभूत हो गई है। हमले की भयावहता और पैमाने से पता चलता है कि यह बहुत अच्छी तरह से समन्वित था। इस हमले के लिए हमास समर्थक पड़ोसी देश ईरान पर इज़राइल का आरोप मध्य पूर्व में और अधिक राजनयिक तनाव पैदा कर सकता है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू द्वारा युद्ध की घोषणा और गाजा पर तेजी से घेराबंदी इस खूनी चुनौती का जवाब देने के लिए इज़राइल के संकल्प का संकेत है। वही विश्व ने हमास को इस दुखद स्थिति के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है।

अविश्वसनीय  विफलता

इस चौंकाने वाले हमले ने दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों में खलबली मचा दी है। यह निस्संदेह एक विलक्षण खुफिया विफलता थी जिसके परिणामस्वरूप इज़राइल के लिए बड़े पैमाने पर जीवन और प्रतिष्ठा का नुकसान हुआ। यह कैसे संभव हुआ कि गाजा जो का एक अत्यंत निगरानी वाला क्षेत्र है वह इज़राइल की प्रसिद्ध खुफिया एजेंसि को मात दे गया; विश्व की बड़ी शक्तियों के बीच समन्वित खुफिया साझाकरण की सामूहिक विफलताओं का कारण कैसे और क्यों हुआ। खुफिया जानकारियों की विफलता पूरे संघर्ष को नियंत्रण से बाहर कर सकते हैं।

यह एक ऐसा पहलू था जिसने मध्य पूर्व में अमेरिकी विदेश नीति की विफलता पर रूसी बयान को प्रेरित किया, वास्तव में रूस अमेरिकी खुफिया विफलता पर टिप्पणी कर रहा था। विडंबना यह है कि कुछ हफ्ते पहले कनाडा में एक अज्ञात आतंकवादी के मारे जाने की खुफिया जानकारी देने के लिए प्रसिद्ध ‘फाइव आइज़’ ने अपनी पीठ थपथपाई थी। वर्तमान विफलता यह दर्शाता है कि इन एजेंसिओं के लिए गम्भीर युध स्थिति की प्राथमिकता कितनी कम थी, जिसके परिणामस्वरूप वास्तविक संघर्ष क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। अब तक के संकेतो से पता चलता है कि इन एजेंसियों को हमास द्वारा अपने देश के बंधकों को निकालने के लिए ‘तरीके और साधन’ खोजने के लिए कहा गया है। अब जब इस्राएल ने युद्ध की घोषणा कर दी है, तो इन एजेंसियों को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी।

गंभीर परीक्षा

हमास का यह हमला कुछ बहुत ही परेशान करने वाले सवालों को सामने लाता है – पारंपरिक युद्ध में घोषित आतंकवादी संगठन का उपयोग; हमास से सहानुभूति रखने वालों का झुकाव इस संघर्ष को ‘गैर-विश्वासियों’ के खिलाफ इस्लामी युद्ध में बदलने का है; और सबसे आश्चर्यजनक रूप से पूरे क्षेत्र पर एक बड़े भू-राजनीतिक संघर्ष का जोखिम होना। जैसे जैसे इस्राएल का आक्रमण मजबूत आकार लेगा, यह गाजा में विनाश लाएगा और इस घनी आबादी वाले क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नागरिक हताहत होंगे। यह स्थिति अरब देशों के लिए गंभीर परीक्षा की होगी, इस संगर्ष ने कई फॉल्ट लाइनों को उजागर कर दिया है।

दुनिया भर की सरकारों के सामने यह समस्याएं तब तक उभरकर सामने आती रहेंगी, जब तक कि इस बात को सार्वभौमिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता कि आतंकवाद सभी रूपों में सिर्फ आतंकवाद है। इससे किसी कारण की पूर्ति नहीं होती, चाहे इसे औचित्य का जो भी आवरण पहनाया जाए। आतंकवादी कृत्यों के औचित्य को एक बार के लिए खत्म करने की जरूरत है, और विश्व को सामूहिक आवाज में इसका जवाब देना होगा अन्यथा, घरेलू अस्तित्व के लिए या भू-राजनीतिक लाभ के लिए पक्षों को चुनने के लिए सरकारों के सामने मजबूत प्रलोभन होगा। आने वाला समय अत्यंत मुश्किल भरा होगा क्योंकि हिंसा जल्द समाप्त होने की उम्मीदें कमज़ोर होती जा रही हैं।

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