पाकिस्तान पर गहराता परमाणु सुरक्षा संकट
-By Ravi Srivastava (02 Sep 2023)
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गंभीर तनाव
27 जनवरी को पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के नवीनतम आंकड़ों में विदेशी मुद्रा भंडार 3 बिलियन अमरीकी डालर के मनोवैज्ञानिक निशान तक गिर गया। आयात के लिए विदेशी मुद्रा में भुगतान में गिरावट करके विदेशी मुद्रा के आगे के पलायन को रोकने के प्रयास ने घरेलू उद्योगों पर गंभीर दबाव डाला है। दिवालियापन का एक स्पष्ट संकेत है जब किसी देश के पास अधिकांश बुनियादी प्रावधानों को वित्त पोषित करने के लिए संसाधनों की कमी हो जाती है।
पाकिस्तान की राजनीति ने लोकतंत्र की दिशा में उसके प्रयास को महत्वहीन बना दिया है। यह एक विडम्बना है की पाकिस्तान में शासन काल के दौरान सभी तानाशाही महत्वाकांक्षाओं के धनी बन जाते हैं। तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के मामले को लें, वह चुनौतियों से जूझ रहे पाकिस्तान में भी अपनी सियासी रोटी पका रहे हैं और दुर्भाग्य से वह अकेले नहीं हैं। इस तरह के स्व-सेवा नेतृत्व और दिशाहीन राजनीति से धन्य देश को केवल एक चमत्कार ही चला सकती है!
परमाणु विघटन?
पाकिस्तान ने राष्ट्रीय मामलों के आचरण में बड़े पैमाने पर अपरिपक्वता प्रदर्शित की है और एक अदूरदर्शी अवसरवादी राष्ट्र के रूप में पहचाना जाने लगा है! उसने शुरुआती दौर में युद्ध का फैसला किया। उसने लोकतंत्र को आश्रय देने के बजाय तानाशाही को चुना। उसने पूर्वी पाकिस्तान में परिपक्व रूप से हालात संभालने के बजाय अपने राष्ट्र का विभाजन होने दिया। उसने संवेदनशील प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए निर्धारित अंतरराष्ट्रीय मानदंड के खिलाफ उत्तर कोरिया को परमाणु डीज़ाइन बेचे। यह पाकिस्तान द्वारा अब तक किए गए चौंकाने वाले राष्ट्रीय निर्णय हैं जो विफलता के अविश्वसनीय परिदृश्य को दर्शाते हैं।
माना जाता है कि एक परमाणु शक्ति के रूप में पाकिस्तान के पास परमाणु मिसाइलों की एक श्रंखला है, जो ज्यादातर चीनी और उत्तर कोरियाई मिसाइलों की कॉपी है। पाकिस्तान के पास लगभग 160 परमाणु हथियार हैं जिनकी क्षमता 5 से 40 किलो टन के बीच होने की संभावना है। इसके पास यूरेनियम और प्लूटोनियम के लिए रावलपिंडी के पास कहुटा और पंजाब के खुशाब में दो प्रमुख संवर्धन सुविधाएं हैं। पाकिस्तान के पास कराची परमाणु ऊर्जा संयंत्र, चस्मा परमाणु ऊर्जा संयंत्र में चार असैन्य उद्देश्य वाले परमाणु रिएक्टर भी हैं, इस्लामाबाद में अमेरिका द्वारा उपहार में दिए गए दो रिएक्टरों को आई0ए0ई0ए के सुरक्षित संरक्छण में रखा गया है। हालांकि प्रमुख चिंता उन स्थानों पर संग्रहीत, तैयार उत्पादों पर बनी हुई है जिन्हें अत्यधिक सुरक्षित बताया जाता है। वास्तविकता यह है कि ऐसे सुरक्षित स्थान केवल उतने ही सुरक्षित हैं जितना इसके संरक्षक चाहते हों। दुनिया पहले ही सेंट्रीफ्यूज के संशोधन के साथ ईरानी परमाणु कार्यक्रम में इजरायल का हस्तछेप देख चुकी है। पाकिस्तान ने भी उत्तर कोरिया को परमाणु ब्लूप्रिंट हस्तांतरित किया था जिससे तत्कालीन जनरलों और ए0क्यू खान को लाखों डॉलर का फायदा होने कि खबरें आयी थी। यह तथ्य है कि पाकिस्तान में निति-निर्माता व्यक्तिगत फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं!
गहराता संकट
प्राथमिक समस्या यह है कि पाकिस्तान जानबूझकर परमाणु हथियार उन देशों या आतंकवादी संगठनों को हस्तांतरित कर सकता है जो उसे मुंहमांगी कीमत का वायदा करे। जैसे- जैसे पाकिस्तान का संकट गहरा रहा है, दुनिया को इसके मानसिक दिवालियेपन से एक कदम आगे रहने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने हमेशा पाकिस्तान को लेकर कुछ समस्याएं रहीं हैं, मसलन किससे बात करें और कैसे भरोसा करें। इनके जवाब उनके फौजी जनरलों और काले धन में निहित हैं; जो बातचीत की गंभीरता को समझने के लिए पर्याप्त परिष्कृत हैं, उन्हें सार्वजनिक प्रतिक्रिया का कोई डर नहीं है और अगर इतिहास को देखा जाए, तो वे वास्तव में काले धन की संभावना उन्हें उत्साहित करती है। जहां तक भारत का सवाल है, उसे इस तरह के दृष्टिकोण पर तब तक कोई आपत्ति नहीं हो सकती, जब तक कि डॉलर की बैकहैंड आपूर्ति व्यक्तिगत खातों तक ही सीमित रहे और वैश्विक चिंता को हल करने में मददगार साबित होती हो!
इस बीच, ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के भविष्यवाणी को भूलना वास्तव में मुश्किल है, जिन्होंने कहा था – ‘हम घास खाएंगे लेकिन परमाणु बम रखेंगे! ’ पूरा पाकिस्तान आज गर्व महसूस करता होगा, क्योंकि उस यात्रा ने उनके देश को उस नियति तक पहुंचा दिया है जिसे उन्होंने चुना था!